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Showing posts from October, 2024

Twelfth Night: About Nomenclature (हिंदी में)

Twelfth Night: About Nomenclature विलियम शेक्सपियर ने अपने tragedies का शीर्षक नायक या नायिका अथवा दोनों के नाम पर रखा है लेकिन comedies के मामले में उन्होंने इस नियम का पालन नहीं किया है। उन्होंने इन्हें द मर्चेंट ऑफ वेनिस, मच एडो अबाउट नथिंग, ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम, एज़ यू लाइक इट, द टैमिंग ऑफ द श्रू और ट्वेल्थ नाइट जैसे बहुत ही आकर्षक और विचारोत्तेजक शीर्षक दिए हैं। इन सभी मामलों में शीर्षक नाटक की आत्मा की झलक देते हैं। The Twelfth Night के दो शीर्षक हैं और दोनों ही बहुत विचारोत्तेजक हैं। पहला शीर्षक Twelfth Night एक हल्के और हास्यपूर्ण स्वभाव का सुझाव देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस दिन यह कॉमेडी प्रदर्शित की जानी थी वह मौज-मस्ती के दिन से जुड़ा था। एलिज़ाबेथन काल के दौरान छह जनवरी को एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता था। यह दिन क्रिसमस के बाद बारहवां दिन था। यह दिवस मूल रूप से इंग्लैंड में तीर्थयात्रियों के रूप में मैजाई के आगमन दिवस के रूप में मनाया जाता था। इस दिन नाटकों का मंचन की परम्परा थी। विलियम शेक्सपियर ने संभवतः इसी दिन के मंचन के लिए Twel...

Twelfth Night: About Nomenclature

Twelfth Night: About Nomenclature William Shakespeare has entitled his tragedies after the names of the hero or the heroine or both but in the case of comedies he has not followed this rule. He has given them very charming and suggestive titles like The Merchant of Venice , Much Ado About Nothing , A  Midsummer Night’s Dream , As You Like It , The Taming of the Shrew and Twelfth Night . In all these cases titles give a peep into the soul of the play. The Twelfth Night has two titles and both of them are very suggestive. The first title the Twelfth Night suggests a light and comic nature. It is because the day on which this comedy was to be performed was associated with the day of merry-making. During Elizabethan period sixth January was celebrated as an important festival with a great enthusiasm. This day was the twelfth day after Christmas. This day was originally celebrated as the arrival day of the Magi in England as pilgrims. On this day dramas were performed. William S...

अभिज्ञान शाकुंतलम: एक सारांश

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Abhigyan Shakuntalam: A Short Summary

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शकुंतला का चरित्र चित्रण

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Shakuntala: A Character Sketch

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कालिदास: एक परिचय

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kalidasa: An Introduction

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भारतीय साहित्य के विकास में महिला रचनाकारों का योगदान

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अभिज्ञान शाकुंतलम: एक सारांश

अभिज्ञान शाकुंतलम: एक सारांश अभिज्ञान शाकुंतलम सम्पूर्ण विश्व के सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से एक है। यह कवि कालिदास का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है। यहां कालिदास ने महाकाव्य महाभारत में वर्णित शकुंतला की कहानी का नाट्य रूपांतरण किया है। इसे कालिदास का सर्वश्रेष्ठ नाटक माना जाता है। कालिदास को उनके ऋतुसंहारम, मेघदूतम, कुमारसंभवम, मालविकाग्निमित्रम, विक्रमोर्वशीयम और अभिज्ञान शाकुंतलम के लिए काफी सराहा जाता है। स्मरण रहे कि अभिज्ञान शाकुंतलम कालिदास का अंतिम नाटक है। इस नाटक को सात अंकों में विभाजित किया गया है। इस नाटक के शीर्षक का अर्थ है- शकुन्तला की पहचान (recognition of Shakuntala)। यह शानदार नाटक रोमांस, धैर्य, और बलिदान की एक खूबसूरत कहानी है। शकुंतला महर्षि विश्वामित्र और मेनका की पुत्री हैं। जन्म के बाद शकुंतला घने जंगल में अकेली छोड़ दी जाती हैं। जंगल के पक्षी नवजात शिशु की रक्षा और देखभाल करते हैं। संयोग से एक दिन वे ऋषि कण्व को प्राप्त हो जाती हैं और वे उनका नाम शकुंतला रख देते हैं। शकुंतला धीरे-धीरे बड़ी हो जाती है और प्रकृति की तरह खूबसूरत दिखने लगती हैं। एक दिन राजा दुष्यन...

शकुन्तला: एक चरित्र चित्रण

शकुन्तला: एक चरित्र चित्रण कवि कुलगुरु कालिदास प्राचीन भारत के महानतम नाटककार और कवि हैं। वे संस्कृत साहित्य जगत के शिखर और आदर्श हैं। उनके द्वारा रचित नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम पूरी दुनिया में पढ़ा और सराहा जाता है। इस  नाटक का कथानक आरम्भ से अंत तक शकुंतला नामक एक खूबसूरत  ऋषि कन्या  के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। शकुन्तला नामक यह किरदार कालिदास की अद्वितीय रचनाओं में से एक है। शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र और मेनका की बेटी हैं। वे कण्व ऋषि के आश्रम में उनकी पुत्री के रूप में निवास करती हैं। कालिदास उन्हें सहज शुद्धता, सुंदरता, अनुग्रह, भारतीय नारीत्व, धैर्य और त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप में बखूबी प्रस्तुत करने में सफल हुए हैं। शकुन्तला सरल, सुन्दर और मासूम हैं। सीता और सावित्री की तरह ही वे भी एक आदर्श भारतीय महिला हैं। अभिज्ञान शाकुंतलम में शकुंतला इतनी सुंदर हैं कि पहली नजर में ही दुष्यन्त उन पर मोहित हो जाते हैं और मोहित क्या हो जाते हैं, दिल दे बैठते हैं ।  वे पेड़ों के पीछे छिप छिपकर उनकी आवाज़ की मिठास का आनंद लेने की भरपूर कोशिश करते हैं। दुष्यन्त शकुंतला की ...

कालिदास: एक परिचय

कालिदास: एक परिचय कालिदास 5वीं शताब्दी के शास्त्रीय संस्कृत लेखक हैं। उन्हें प्राचीन भारत का सबसे महान नाटककार और कवि माना जाता है। वह संस्कृत साहित्य जगत के आदर्श हैं। भारतीय साहित्य में उन्हें कवि कुलगुरु के रूप में स्वीकार किया जाता है। एक व्यक्ति के रूप में कालिदास के बारे में बहुत कम जानकारी है। उनके नाम का अर्थ देवी काली का भक्त है। कालिदास को उज्जैन के शानदार और महान राजा विक्रमादित्य के दरबार में नौ रत्नों में से एक के रूप में जाना जाता है। उनके नाटक और काव्य मुख्यतः वेदों, रामायण, महाभारत और पुराणों पर आधारित हैं। उनकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं अभिज्ञानशाकुंतल (शकुंतला की पहचान), कुमारसंभव (युद्ध देवता का जन्म), मालविकाग्निमित्र (मालविका और अग्निमित्र), मेघदूत (बादल दूत), रघुवंश (रघु का राजवंश), ऋतुसंहार (ऋतुओं की माला) और विक्रमोर्वशी (उर्वशी वीरता से जीती)। अभिज्ञानशाकुन्तल कालिदास का सात अंकों का एक सुन्दर नाटक है। यहां महाभारत की शकुंतला की कहानी का नाट्य रूपांतरण किया गया है। यह रचना कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। इस नाटक के कथानक में राजा दुष्यन्त और शकुन्तला ज...

Jawaharlal Nehru : A Great Autobiographer

Jawaharlal Nehru : A Great Autobiographer Jawaharlal Nehru, the first prime minister of India, is one of the most significant figures in modern Indian history. He was not only a politician but a prolific writer and thinker also. His writings offer valuable insights into Indian history, politics and culture. He is appreciated for his Discovery of India , Glimpses of World History , Letters from a Father to His Daughter and An Autobiography . Among his compositions his autobiography entitled An Autobiography is notable. It is a captivating narrative. The fourth chapter of An Autobiography is particularly insightful. This chapter provides a glimpse into Nehru's early life and experiences. Born into a prosperous family, Nehru was exposed to Western education and culture from a young age. This exposure shaped his world view and political outlook. In this fourth chapter Nehru recounts his childhood memories and his travels abroad. In the same chapter he describes his growing aware...

Spirit of Renaissance in Dr. Faustus

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University Wits

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English Drama upto Marlowe

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Hamlet's Madness

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Where the Mind is Without Fear: Multiple Choice Questions with Answers

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Hamlet: Major Characters

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Where the Mind is Without Fear

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